UPSC Exam Reform: यूपीएससी परीक्षा की आयु सीमा होगी 27, मात्र दे सकेंगे 3 अटेम्प्ट, जाने कब लागू होगा नियम

UPSC Exam Reform News: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं में आयु सीमा और परीक्षा के लिए अधिकतम अटेम्प्ट की संख्या कम हो सकती है। इससे सम्बंधित बहुत से आर्टिकल पब्लिश हुए हैं, जिसमे पूर्व RBI गवर्नर डॉ. दुव्वुरी सुब्बाराव के द्वारा, UPSC से सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव की गयी सिफारिस का जिक्र किया गया है। फिलहाल आयु यूपीएससी में आयु सीमा 21 से 32 वर्ष है और कोई भी अभ्यर्थी अधिकतम 6 अटेम्प्ट दे सकता है। लेकिन इसमें आने वाले समय में बदलाव देखने को मिल सकता है।

पूर्व RBI गवर्नर ने कहा UPSC सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव की जरुरत –

पूर्व RBI गवर्नर डॉ. दुव्वुरी सुब्बाराव ने कहा, हर साल लाखों युवा UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण वर्ष समर्पित करते हैं, लेकिन सफलता केवल कुछ सौ उम्मीदवारों को ही मिलती है। उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया को “मानव क्षमता की व्यापक बर्बादी” करार देते हुए UPSC प्रणाली में व्यापक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया है।

उन्होंने सुझाव दिया है कि अधिकतम प्रयासों की संख्या को घटाकर तीन और आयु सीमा को 27 वर्ष तक सीमित किया जाए, ताकि युवा अपने करियर के महत्वपूर्ण वर्षों को अनिश्चितता में न गवाएं।

अनुभवी लोगों को भी प्रसाशनिक सेवा में मिले मौका

सुब्बाराव कहते हैं कि कम आयु के नए टैलेंट के साथ ही सिविल सेवा में अन्य क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले 40 वर्ष से अधिक उम्र के पेशेवरों के लिए एक एंट्रेंस एग्जाम होना चाहिए, जिससे प्रशासनिक सेवाओं में विविधता और अनुभव का समावेश हो सके। उनका मानना है कि ऐसे अनुभवी पेशेवर, जिन्होंने निजी क्षेत्र, विज्ञान, शिक्षा या सामाजिक विकास जैसे क्षेत्रों में वर्षों काम किया है, वे शासन में व्यावहारिक दृष्टिकोण और समाधान-प्रधान सोच ला सकते हैं, साथ ही इससे वार्षिक ‘टियर-2’ भर्ती प्रक्रिया मौजूदा लेटरल एंट्री की सीमाओं में आवश्यक सुधार आ सकता है।

UPSC में हजार सीटों के लिए लाखों युवा –

यूपीएससी की परीक्षा देश में होने वाली सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, जिसमे हर साल करीब दस लाख से ज्यादा युवा  परीक्षा देते हैं, और सालों तक मेहनत करके IAS, PCS, IFS जैसे बड़े पदों पर नौकरी पाने का सपना देखते हैं। कई बार तो परीक्षा की तैयारी में 5-10 साल और हर बार असफलता के बाद भी बचे हुए अटेम्प्ट में सफल होने की आशा से युवा अपना बहुमूल्य समय दुसरे स्किल को सीखने में भी नहीं लगा पाते।

डॉ. सुब्बाराव का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर प्रतियोगिता न केवल युवाओं के समय और मेहनत की बर्बादी है, बल्कि इससे वे मानसिक और आर्थिक दबाव में भी आ जाते हैं। कई बार उम्मीदवार सालों तक तैयारी करते हैं और फिर भी असफल रहने पर उन्हें सब कुछ फिर से शुरू करना पड़ता है, जिससे उनका आत्मविश्वास भी कमजोर हो सकता है।

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